1. रक्तमोक्षण भी आयुर्वेद के पंचकर्मों मे गिना जाता है ।2. रक्त से पित्त को बाहर निकालने के लिए रक्तमोक्षण करना चाहिए. 3. पंचकर्म में वमन, विरेचन, शिरोविरेचन (नस्य) रक्तमोक्षण , वस्ती प्रक्रियाएं अपनाई जाती है। 4. १-वमन, २-नस्य, ३-विरेचन, ४-रक्तमोक्षण , ५-वस्ति 5. आस्था आयुर्वेद असंध मे भी रक्तमोक्षण का प्रयोग किया जा रहा है वह भी बहुत ही सुरक्षित ढंग से । 6. अनेक रोगों में वमनकर्म के बाद विरेचन कर्म, वस्ति कर्म, रक्तमोक्षण आदि क्रियाएँ विशेषज्ञ के निर्देशानुसार अपनानी होती हैं। 7. उन्होंने बताया कि पंचकर्म के अंतर्गत वमन, विरेचन, वस्ती, नस्यकर्म और रक्तमोक्षण की तकनीक मुख्य रूप से सम्मलित होती है। 8. नाई को केवल रक्तमोक्षण तथा दाँत उखाड़ना आदि साधारण शल्यकर्म की आज्ञा थी और सर्जन के लिए बार्बर के व्यावसायिक कर्म निषिद्ध थे। 9. प्राचीनतम शास्त्रोक्त व परम्परागत पंचकर्म की प्रक्रियाओ जैसे वमन, विरेचन, बस्ति नस्य तथा रक्तमोक्षण आदि को वैद्यक रीति से सम्पन्न कराया जाता है। 10. नाई को केवल रक्तमोक्षण तथा दाँत उखाड़ना आदि साधारण शल्यकर्म की आज्ञा थी और सर्जन के लिए बार्बर के व्यावसायिक कर्म निषिद्ध थे।